नमस्ते दोस्तों,

इस दुनिया में ख़ुशी की तलाश किसे नहीं है।  हर कोई ताउम्र ख़ुशी की ख्वाहिश में भटकता रहता है।  किसी को धन दौलत पाने में ख़ुशी मिलती है तो किसी को ताकत। किसी को समाज में प्रतिष्ठित स्थान चाहिए तो किसी को सुखी परिवार। किसी को अपने परिवार के साथ समय बिताने में आनंद आता है तो किसी को खाने पीने व घूमने फिरने में। किसी को मनचाहा प्यार चाहिए तो किसी को दोस्तों का साथ।  कोई भौतिक सुखों को प्राथमिकता देता है तो कोई मन की शांति को ।

वास्तव में हम सभी के लिए ख़ुशी की परिभाषा भिन्न भिन्न है और हम सभी भिन्न भिन्न माध्यमों द्वारा ख़ुशी पाने की जद्दोजहद में लगे रहते हैं। व्यक्ति कोई भी हो वह किसी भी देश ,राज्य या शहर में रहता हो उसे यह अवश्य लगता है कि उसके पास ज़रूरी ख़ुशी की कमी है। अब प्रश्न यह उठता है कि क्यों सभी के लिए खुशी  का अर्थ  भिन्न है। और वास्तव में खुशी क्या है? वह क्या है जिसकी तलाश में हर कोई भटकता है और अलग-अलग वस्तुओं या इच्छाओं के पीछे भागता है।

आज हम इसी विषय पर चर्चा करेंगे और जानेंगे की खुशी वास्तव में है क्या और इसे कैसे पाया जा सकता है और किस तरह हमेशा खुश रहा जा सकता है। 

ख़ुशी क्या है? (What is happiness)

यदि खुशी के आध्यात्मिक पहलू (spiritual aspect ) की बात की जाए,

तो आत्मा स्वयं आनंद स्वरूप (सत चित्त आनन्द ) है और इसका स्वयं में स्थित रहना परम आनंद या खुशी का स्रोत है। यदि आप दुखों से दूर है और बाहरी प्रभावों से मुक्त है तो आप स्वयं के वास्तविक स्वरूप के साथ रहेंगे और आनंद की अनुभूति लगातार करते रहेंगे। दुख आपके पास बाहर से ही आते हैं जब आप अपने मन के दरवाजों को उनके लिए खोलते हैं। यदि आप बाहर के दुखों के लिए; विभिन्न पीड़ाओं के लिए ; विभिन्न लालसाओं के लिए अपने चित्त के द्वार खोलेंगे और उनके साथ ही जुड़ने का प्रयास करेंगे तो आप दुखी ही रहेंगे। यदि आप इन दुखों से मुक्त होना चाहते हैं तो इनके लिए अपने मन के दरवाजे बंद कर दे। आप अनंत और असीम सुख को प्राप्त करेंगे कहा भी गया है की खुशी आपके भीतर से  ही आती है। ( Happiness comes from within). यही कारण है ऋषि मुनि खुशी की तलाश में पर्वतों पर व जंगलों में भटकते हुए सन्यास धारण करते थे और ध्यान का आश्रय लेकर स्वयं को उस परम आनंद की ओर लेकर जाते थे। आज भी ध्यान या मेडिटेशन को मानसिक सुख का सर्वोत्तम साधन माना गया है इसके अतिरिक्त योग के द्वारा आप अपने शरीर व मन को स्वस्थ और सुखी बनाए रख सकते हैं। 

यदि आधुनिक या वैज्ञानिक पहलू की बात की जाए तो हमारे मन में खुशी या दुख की अनुभूति कुछ हार्मोनो (hormomes) के स्तर का नतीजा है। सेरोटोनिन (serotonin) और डोपामाइन (dopamine) हॉर्मोन मुख्य रूप से हमारे शरीर में ख़ुशी का अहसास कराते हैं। इन हॉर्मोनो की कमी से ख़ुशी के अहसास में कमी आती है वहीँ यदि इनका स्तर शरीर में अच्छा होगा तो भरपूर आन्नद महसूस होगा।  

इसी प्रकार एंडोर्फिन (Endorphin) व ऑक्सीटोसिन (oxytocin) हॉर्मोन भी हमारे शरीर में ख़ुशी व पूर्णता का अहसास करते हैं।

अब सबसे ज़रूरी बात की जाए और वह ये कि हम क्या करें कि  हमें आत्म संतुष्टि व आनंद की अनुभूति हमेशा होती रहे और कैसे हम प्रसन्न व खुश रहें। 

खुश रहने के उपाय 🙂 (How to be happy in life)

  1. छोटी-छोटी उपलब्धियाँ हासिल करें :

जब भी हम किसी कार्य को सफलतापूर्वक संपन्न करते हैं, हममे  एक उपलब्धि की भावना जागृत होती है जो कि  हमें ख़ुशी की और ले कर जाती है। अब बड़े बड़े कार्यों को सम्पन करना इतना सरल कार्य तो है नहीं, तो हम क्या करेंगे कि छोटे-छोटे कार्यों को संपन्न करेंगे और अपने मन को उपलब्धि का एहसास प्रदान करेंगे। यदि आपके पास कोई कार्य है और  इसे करने में आप को लगता है कि बहुत समय लगेगा तो आप उसे छोटे-छोटे हिस्सों में बांट लीजिए और उन छोटे-छोटे हिस्सों को पूर्ण करने पर आप अलग-अलग खुशी का अहसास या उपलब्धि का एहसास प्राप्त करेंगे और जब वह पूरा कार्य संपन्न हो जाएगा तो आप एक बहुत बड़ी उपलब्धि के भाव को महसूस करेंगे और इस दौरान आपके शरीर में डोपामाइन (dopamine) हार्मोन प्रचुर मात्रा में स्रावित होगा जो कि आपको आनंद व उपलब्धि की भावना से पूर्ण एहसास देगा। 

उदाहरण के लिए यदि किसी विद्यार्थी का मैथ का टेस्ट है और उसे उसके लिए तैयारी करनी है पूरी एक यूनिट को पूरा  करना उसके लिए सरल नहीं है तो वह क्या करेगा की छोटी-छोटी एक्सरसाइजेज और छोटे-छोटे टॉपिक  को चुनेगा और नियमित रूप से थोड़ा-थोड़ा कार्य संपन्न करेगा।  इस दौरान प्रत्येक अभ्यास या प्रश्नावली को पूरा करने पर उसे उसी प्रकार उपलब्धि का एहसास प्राप्त होगा और जब पूरी यूनिट या  इकाई को पूर्ण कर लेगा तो उसे  बहुत अधिक मात्रा में इसी प्रकार का एहसास प्राप्त होगा और प्रक्रिया के हर स्तर पर उससे उसके शरीर में डोपामाइन स्रावित (secrete) होगा। 

2 . हर छोटी उपलब्धि पर उत्सव मनाए:

      यदि आप कोई भी उपलब्धि प्राप्त करते हैं किसी बड़े कार्य का एक छोटा सा हिस्सा भी अब पूरा कर पाते हैं तो उसकी खुशी को उत्सव के रूप में मनाइए ताकि आपके मन को उस उपलब्धि या खुशी का एहसास हो सके और आपके आपके शरीर में ख़ुशी के रसायन  का स्राव (secretion) हो सके। जब हम किसी उपलब्धि को सेलिब्रेट करते हैं तब उसके मिलने वाली ख़ुशी  को एहसास का रूप लेते हैं और जब एहसास खुशी या उपलब्धि का हो तो उसी के हार्मोन हमारे शरीर में बढ़ जाते हैं। यह सेलिब्रेशन या उत्सव कैसा भी हो सकता है चाहे छोटी सी टी पार्टी या स्वयं को ही एक पुरस्कार स्वरूप एक मिठाई या चॉकलेट खिला देना। इस प्रकार किसी भी प्रकार का पुरस्कार (reward) देने से आपके शरीर में डोपामाइन का स्तर बढ़ेगा और आप खुशी या आनंद से भर उठेंगे।

3 . नियमित रूप से व्यायाम करें:

नियमित रूप से व्यायाम करने से हमारे शरीर में सेरोटोनिन हार्मोन का स्तर बढ़ जाता है हमारा शरीर फुर्ती से भरा हुआ महसूस करता है बीमारियों के दूर होने से भी हमें खुशी का एहसास होता है यदि नियमित रूप से हम व्यायाम करेंगे तो मन में किसी भी प्रकार का तनाव (stress) नहीं रहेगा और हमें आनंद की अनुभूति होगी और इससे हमारे  शरीर में सेरोटोनिन के स्तर में दोहरी वृद्धि होगी।

  1. योग व ध्यान को अपने जीवन का हिस्सा बनाना :

योग वह ध्यान को अपने जीवन का एक नियमित हिस्सा बनाएं।  योग के माध्यम से आप अपने शरीर को स्वस्थ रख सकते हैं।  इसके साथ ही आपका मन भी संयमित व विकारों से दूर रहेगा।  नियमित योग करने वाले व्यक्ति में स्वतः ही खुशी का भाव बनी रहता है, मन संयमित रहता है जिस कारण उसका व्यवहार भी संयमित रहता है तथा नियमित रूप से वह आनंद की अनुभूति करता रहता है; उसका खुशी के हार्मोन का स्तर हमेशा अच्छा रहता है।

 और ध्यान की बात तो  जितनी की जाए उतनी कम  है। ध्यान आपके मन के सभी विकारों को दूर करके आपके मन मस्तिष्क को स्वस्थ व समर्थ बनाए रखता है और आप अपनी मानसिक क्षमताओं के बढ़ने व विकारों से दूर होने के कारण आनंद ही आनंद महसूस करते हैं।  ध्यान करने वाला व्यक्ति स्वयं में स्थित रहकर परम आनंद की अनुभूति करता है और ख़ुशी के हार्मोन का स्तर उसके शरीर में स्वता ही बढ़ जाता है।  हमारे प्राचीन ग्रंथों में भी ध्यान की महिमा का वर्णन किया गया है।  भगवान शिव को हमेशा ध्यान की मुद्रा में ही दिखाया जाता है।  इसी प्रकार महात्मा बुद्ध ने भी ध्यान को ही अपनी साधना का मार्ग बनाया था। 

  1. अपने परिवार और दोस्तों के साथ खुशी के पल बिताएं:

अपने परिवार वह दोस्तों के साथ खुशी का पल बिताना भी हमारे मन में आनंद के एहसास को बढ़ाता है।  अपने परिवार के साथ हंसते खेलते कुछ पल बिताइए। इसी प्रकार कभी कभार अपने दोस्तों के साथ भी घूमने फिरने जाइए उनको अपने घर बुलाइए और हंसी मजाक करते हुए खुशी मनाइए। इस प्रकार भी आप स्वयं में खुशी का संचार करेंगे और आपको एहसास होगा कि आपके साथ आपके मित्र आपके परिवार के सदस्य हमेशा हैं और आप किसी भी प्रकार के अवसाद से दूर रहे और नियमित ख़ुशी का एहसास आपके मन में बना रहेगा।

 

 

  1. संतुलित भोजन लें :

      भोजन जैसा होगा हमारा शरीर व मन उसी प्रकार का होगा। यदि हम वसा से भरा हुआ भारी-भरकम भोजन ग्रहण करेंगे या फास्ट फूड को अपने नियमित जीवन में रखेंगे तो हमारा शरीर भी उसी प्रकार बीमारियों से भरा हुआ और मानसिक विकारों से पूर्ण होगा। दूसरी ओर  यदि हमारा भोजन संतुलित होगा हमें जितनी वसा चाहिए, जितने कार्बोहाइड्रेट चाहिए, जितने मिनरल्स चाहिए अर्थात हमारे शरीर के आवश्यकताओं के अनुसार यदि हम संतुलित भोजन लेते हैं तो हमारे शरीर के साथ-साथ हमारा मन भी स्वस्थ रहेगा और स्वस्थ मन प्रसन्न रहता है । इस प्रकार संतुलित भोजन का हमारे मन के स्वास्थ्य के लिए बहुत योगदान होता है और हमारा मानसिक स्वास्थ्य हमारे मन में खुशी का अहसास बनाए रखता है।

  1. भरपूर नींद लीजिए:

 हमारे मानसिक स्वास्थ्य और मानसिक क्षमताओं को बनाए रखने के लिए भरपूर नींद का बहुत बड़ा योगदान है जिस समय हम लोग नींद की अवस्था में होते हैं हमारा शरीर अपने आप को रिपेयर करता है अर्थात अपने उपचार की क्रिया में लगा रहता है।  हमारा मन मस्तिष्क उस दौरान स्वयं को विकारों परेशानियों से दूर कर हार्मोन्स  के स्तर  को उचित बनाए रखता है।  हमारी तंत्रिकाओं को सही से कार्य करने के लिए कुछ आराम की आवश्यकता होती है जोकि नींद के समय मिलता है।  यदि हम शरीर के लिए जरूरी नींद नहीं लेंगे तो दिन प्रतिदिन हम अपने क्षमताओं को खो देंगे।  जैसे हमारी याददाश्त या हमारा ध्यान केंद्रित करने की क्षमता या अधिक देर तक कार्य करने की क्षमता हम सभी प्रकार की मानसिक क्षमताओं को खो देंगे और यदि मन स्वस्थ नहीं रहेगा तो शरीर भी स्वस्थ नहीं रहेगा और अब ऐसी स्थिति में एक प्रकार का कुचक्र कार्य करेगा जिससे मन शरीर को और शरीर मन को प्रभावित करेगा और खुशी का अहसास हमसे दूर होता जाएगा इसलिए भरपूर नींद लीजिए और ख़ुशी का एहसास स्वयं में बनाए रखिए अपने मानसिक स्वास्थ्य को बनाए रखें और जीवन का संपूर्ण आनंद लीजिए।

  1. तनाव को स्वयं से दूर रखें:

अपने मन को तनाव से हमेशा दूर रखें तनाव की स्थिति आपके मन के साथ आपके शरीर को भी विकारों से युक्त बनाती है यदि आपका मन तनावग्रस्त रहेगा तो खुशी के रसायनों की बजाय तनाव वाले रसायन या हारमोंस का स्राव  होता रहेगा और आपका शरीर खुशी व आनंद के एहसास की बजाय दुख वह खतरे के एहसास को लगातार महसूस करेगा और इस प्रकार का एहसास या इस प्रकार की स्थिति आपके शरीर व मन दोनों को ही विकारों से युक्त बनाएगी।  शरीर या मन थोड़े समय के लिए तो इन  स्ट्रेस हार्मोन को अपने शरीर में रख सकता है थोड़े समय के लिए इन को बनाए रखने से कुछ कार्यों को करने में सहायता मिलती है, परंतु यदि ये हॉर्मोन लगातार आपके शरीर में बने हैं तो आपका शरीर कई बीमारियों का घर बन जाएगा और आपके शरीर की तंत्रिकाओं में  विकार उत्पन्न होगा।

  1. स्वयं को अध्यात्म  के साथ  जोड़िए:

  एक व्यक्ति का आध्यात्मिक होना उसके मन में कई विकारों के आने का रास्ता बंद कर देता है।  एक आध्यात्मिक व्यक्ति अवसादो (depression) से काफी हद तक दूर रहता है। यहाँ आध्यात्मिक होना किसी एक या निश्चित धर्म के साथ जुड़ना नहीं  हैं बल्कि स्वयं को एक सर्वशक्तिमान शक्ति के साथ जुड़ा हुआ महसूस करना है।  यहां सर्वशक्तिमान ईश्वर की अनुभूति या विश्वास और स्वयं के ज्ञान से जुड़ी बातों को अध्यात्म की  संज्ञा दी जा रही है। यदि कोई व्यक्ति स्वयं को अध्यात्म से दूर रखता है तो उसे हर एक समस्या, हर एक जिम्मेदारी, हर एक पीड़ा का बोझ स्वयं ही उठाना पड़ता है उसके पास कोई सहारे का विकल्प नहीं होता है और इस कारण वह स्वत: ही किसी भी प्रकार के अवसाद का शिकार हो सकता है। अध्यात्म व्यक्ति को सहारा देता है जिससे वह अपनी सभी चिंताओं से मुक्ति प्राप्त कर सकता है और स्वयं को आनंद की ओर लेकर जा सकता है। 

         इस प्रकार अपने दैनिक जीवन में कुछ छोटे-छोटे बदलाव लाकर अपने मन से चिंता, आलस्य, अकर्मण्यता और कुछ अन्य विकारों को दूर कर हम खुशी व आनंद को अपने जीवन में आमंत्रित कर सकते हैं। हमें जरूरत है बस अपने शरीर को नियमित करने की।  यदि हम ऊपर वर्णित कुछ आदतों को अपने जीवन में शामिल कर ले और स्वयं को अवसाद चिंताओं से दूर रखें तो हमारा शरीर स्वयं ही आनंद की ओर बढ़ चलेगा क्योंकि हमारा शरीर स्वयं को हमेशा स्वस्थ व संतुलित बनाए रखने के प्रयास में जुटा रहता है।  यही कारण है कि जब हम ध्यान की स्थिति में रहते हैं और बाहर के विभिन्न प्रकार के अनुभवों को भूल जाते हैं तो इस दौरान हमारा शरीर स्वयं को रिपेयर करने में जुटा रहता है और हमारे मन को उचित स्थिति या संतुलन में बनाए रखता है । तो आज ही अपने जीवन में कुछ बदलाव कीजिए कुछ अच्छी-अच्छी आदतों का संचार कीजिए अपने दोस्तों, परिवार के साथ के साथ मसय बिताइए, छोटी-छोटी उपलब्धियों में खुशी महसूस कीजिए,  नियमित व्यायाम कीजिए,  योग और ध्यान को अपने शरीर अपने जीवन का एक अभिन्न अंग बनाइए अध्यात्म के साथ स्वयं को जोड़िए और आनंदित हो जाइए।

 धन्यवाद!

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